भारत संविधान के रोचक तथ्य 1949 – Story & History,Interesting Story About Indian Constitution : भारत का संविधान के महत्वपूर्ण तथ्य व आधुनिक युग का घटनाक्रम ।

 भारत का संविधान 1949 (Indian Constitution) के महत्वपूर्ण तथ्य व आधुनिक युग का घटनाक्रम । 

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भारत रत्न बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर

भारत रत्न बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय व वंशावली

भारत रत्न बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर भारत के संविधान (Indian Constitution) निर्माता, समाज सुधारक और दलितों के अधिकारों के मुखर प्रवक्ता थे। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से शिक्षा प्राप्त की। अंबेडकर ने अस्पृश्यता, जातिवाद और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ जीवनभर संघर्ष किया। उन्होंने भारतीय संविधान (Indian Constitution) का मसौदा तैयार किया और स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री बने। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया। उनका निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ। उन्हें ‘बाबासाहेब’ के नाम से जाना जाता है।

  • अंबेडकर का जन्म एक महार जाति में हुआ था, जिसे उस समय अछूत माना जाता था, और उन्होंने इसी भेदभाव के विरुद्ध पूरी ज़िंदगी संघर्ष किया।
  • उन्होंने ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’, ‘जनता’ पत्रिका और ‘मूकनायक’ जैसे सामाजिक संगठनों व प्रकाशनों की स्थापना की ताकि दलितों को जागरूक किया जा सके।
  • उन्होंने हिंदू धर्म में व्याप्त जातिप्रथा के विरुद्ध आवाज़ उठाई और ‘मनुस्मृति’ का सार्वजनिक दहन भी किया।
  • उन्होंने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की स्थापना की रूपरेखा तैयार करने में अहम भूमिका निभाई।
  • 1956 में बौद्ध धर्म अपनाते समय उन्होंने लगभग 5 लाख अनुयायियों के साथ धर्मांतरण किया।
  • उन्हें मरणोपरांत 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
  • उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें हैं – “जाति का उन्मूलन” (Annihilation of Caste), “हिंदू धर्म में रहस्यवाद और उसका प्रभाव”, “बुद्ध और उनका धम्म” आदि।
  • उन्होंने महिलाओं की शिक्षा, समान अधिकार और मज़दूरों के हितों की भी वकालत की।
  • डॉ. अंबेडकर का जीवन संघर्ष, ज्ञान और सामाजिक न्याय की प्रेरणा का प्रतीक है।
  • बहुभाषाविद्: अंबेडकर को कई भाषाओं का ज्ञान था, जैसे संस्कृत, पाली, अंग्रेज़ी, मराठी, हिंदी, फारसी, जर्मन और फ्रेंच।
  • तीन डॉक्टरेट डिग्रियाँ: उन्हें कोलंबिया विश्वविद्यालय (Ph.D.), लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स (D.Sc.) और बाद में एक मानद LL.D. डिग्री मिली।
  • ‘साइमन कमीशन’ का विरोध: उन्होंने साइमन कमीशन का बहिष्कार नहीं किया, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने किया था, क्योंकि वह दलित वर्ग की भागीदारी चाहते थे।
  • ‘पूना समझौता’ (1932): महात्मा गांधी के साथ यह ऐतिहासिक समझौता किया गया था, जो दलितों को आरक्षण देने की दिशा में महत्वपूर्ण था।
  • भारतीय दंड संहिता (IPC), श्रम कानून और जल नीति: उन्होंने कई श्रमिक सुधारों, मजदूरों के लिए काम के घंटे घटाने, और देश की जलनीति व सिंचाई योजना में भी योगदान दिया।
  • राजनीतिक दल की स्थापना: उन्होंने ‘स्वतंत्रता पार्टी’ (Independent Labour Party) और बाद में ‘शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन’ की स्थापना की।
  • बुद्ध और धम्म पर आधारित नया मार्ग: उन्होंने सिर्फ बौद्ध धर्म अपनाया ही नहीं, बल्कि ‘बुद्ध और उनका धम्म’ नामक पुस्तक के माध्यम से बौद्ध दर्शन को सरल भाषा में जन-जन तक पहुँचाया।
  • संसद में अंतिम भाषण: संविधान (Indian Constitution) में बदलाव की चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा था कि अगर सामाजिक और आर्थिक समानता नहीं आई तो यह लोकतंत्र खत्म हो सकता है।
  • मृत्यु: उनका निधन 6 दिसंबर 1956 को नींद में ही हुआ। उनकी समाधि ‘चैत्यभूमि’ (मुंबई) आज एक पवित्र स्थल है।
  • प्रेरणा का स्रोत: आज भी वे करोड़ों भारतीयों के लिए प्रेरणा हैं — विशेष रूप से सामाजिक न्याय, शिक्षा, और समानता की भावना के लिए।
  1. भीमराव अंबेडकर के परदादा:
    उनके बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध है, लेकिन वह भी ब्रिटिश सेना में सहायक पद पर कार्यरत रहे होंगे, क्योंकि यह उनके वंश की परंपरा रही।
  2. दादा – मालोजी सकपाल:
    ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में सूबेदार थे। यह पद उस समय सेना में सम्मानजनक और अनुशासनिक जिम्मेदारी वाला होता था।
  3. पिता – रामजी मालोजी सकपाल:
    • पेशे से ब्रिटिश सेना में सूबेदार थे।
    • उन्होंने अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने पर विशेष ज़ोर दिया।
    • धर्मनिष्ठ, शिक्षाप्रेमी और अनुशासनप्रिय व्यक्ति थे।
    • उन्होंने ही भीमराव को पढ़ने के लिए प्रेरित किया।
  4. माता – भीमाबाई सकपाल:
    • एक धार्मिक और स्नेही महिला थीं।
    • उन्होंने भीमराव को बचपन में नैतिक शिक्षा दी।
  5. भीमराव अंबेडकर:
    • रामजी और भीमाबाई के 14 बच्चों में सबसे छोटे।
    • जन्म: 14 अप्रैल 1891, महू (मध्यप्रदेश) में।
    • उनका मूल उपनाम “सकपाल” था, लेकिन उन्होंने अपने ब्राह्मण शिक्षक के सुझाव पर “अंबेडकर” उपनाम अपना लिया।

1. रमाबाई अंबेडकर (प्रथम पत्नी)

  • पूरा नाम: रमाबाई अंबेडकर
  • जन्म: 1897
  • विवाह: 1906 में, जब डॉ. अंबेडकर केवल 15 वर्ष के थे और रमाबाई 9 वर्ष की थीं।
  • पृष्ठभूमि: एक गरीब परिवार से थीं, जिन्होंने जीवनभर अत्यंत कठिन परिस्थितियों में अपने पति का साथ निभाया।
  • व्यक्तित्व: रमाबाई शांत स्वभाव, धार्मिक आस्था और अत्यंत सहनशीलता वाली महिला थीं।
  • संतान: अंबेडकर दंपती के कुल 5 बच्चे हुए, लेकिन चार की मृत्यु कम उम्र में हो गई। केवल यशवंत अंबेडकर ही जीवित रहे।
  • निधन: 27 मई 1935 को बीमारी के कारण उनका देहांत हुआ।
  • अंबेडकर का समर्पण: डॉ. अंबेडकर ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “Thoughts on Pakistan” रमाबाई को समर्पित की थी और उन्हें अपनी प्रेरणा माना।
  • सविता अंबेडकर (द्वितीय पत्नी)
  • पूरा नाम: सविता अंबेडकर (जन्म नाम: शारदा कबीर)
  • जन्म: 27 जनवरी 1909, महाराष्ट्र के एक ब्राह्मण परिवार में
  • शिक्षा और पेशा: वे MBBS डॉक्टर थीं और मेडिसिन में डिग्री प्राप्त की थी।
  • विवाह: 15 अप्रैल 1948 को डॉ. अंबेडकर से विवाह किया।
  • धर्म परिवर्तन: उन्होंने भी 1956 में अंबेडकर के साथ बौद्ध धर्म अपनाया।
  • योगदान: वृद्धावस्था और बीमारी के समय उन्होंने डॉ. अंबेडकर की सेवा की और उनके लेखन कार्यों में सहयोग किया।
  • निधन: 29 मई 2003 को मुंबई में उनका निधन हुआ।
  • विवाद: अंबेडकर की मृत्यु के बाद कुछ समय के लिए उन्हें राजनीतिक आरोपों का सामना करना पड़ा, पर बाद में सम्मान बहाल हुआ।
  • संतान – यशवंत अंबेडकर:
  • भीमराव अंबेडकर के एकमात्र पुत्र थे।
  • उन्होंने ‘भीम सेना’ और बौद्ध आंदोलन को आगे बढ़ाया।
  • उनका एक बेटा था – प्रकाश अंबेडकर

वंश की अगली पीढ़ी:

  • प्रकाश अंबेडकर (पोते):
    • एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, वकील और लेखक हैं।
    • उन्होंने ‘भारिप बहुजन महासंघ’ और बाद में ‘वंचित बहुजन आघाड़ी’ नामक राजनीतिक दल बनाया।
    • वह अंबेडकर के विचारों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
  • सुजात अंबेडकर (परपोते):
    • प्रकाश अंबेडकर के पुत्र हैं।
    • वह भी सामाजिक कार्यों और राजनीति में सक्रिय हैं।
भारत संविधान के रोचक तथ्य – Story & History,Interesting Story About Indian Constitution : भारत का संविधान के महत्वपूर्ण तथ्य व आधुनिक युग का घटनाक्रम ।
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अध्याय 1: शीत युद्ध का दौर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उत्तर (Objective Questions with Answers)

  1. प्रश्न: शीत युद्ध के बारे में कौन-सा कथन सही है?
    उत्तर: यह महाशक्तियों के बीच एक वैचारिक संघर्ष था।
  2. प्रश्न: निम्न में से कौन-सा कथन गुट-निरपेक्ष आंदोलन के उद्देश्यों पर प्रकाश नहीं डालता है?
    उत्तर: किसी भी सैन्य संगठन में शामिल होकर विरोध करना।
  3. प्रश्न: नीचे दिए गए महाशक्तियों द्वारा बनाए गए सैन्य गठबंधनों की विशेषताएँ पहचानिए:
    उत्तर: सदस्य देशों को अपने क्षेत्र में महाशक्तियों के सैन्य अड्डे देने पड़ते थे।
  4. प्रश्न: नीचे दिए गए देशों में से कौन-सा शीत युद्ध के दौरान किसी गुट से जुड़ा हुआ था?
    उत्तर: पोलैंड
  5. रिक्त स्थान भरें:
    • शीत युद्ध की राजनीतिक प्रक्रिया शक्ति-संतुलन की अवधारणा पर आधारित थी।
    • गुट-निरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक देशों में भारत प्रमुख था।
    • गुट-निरपेक्षता के प्रमुख नेता थे – जवाहरलाल नेहरू, नासेर, टीटो।
    • 1985 में सोवियत संघ में सुधारों की शुरुआत गोर्बाचेव ने की।
  6. प्रश्न: शीत युद्ध की समाप्ति के क्या कारण थे?
    उत्तर: सोवियत संघ का विघटन, आर्थिक समस्याएँ, और उदारवादी सुधार।

अध्याय 2: दो ध्रुवीयता का अंत

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उत्तर (Objective Questions with Answers)

  1. प्रश्न: सोवियत संघ के विघटन के कारण कौन-कौन से थे?
    उत्तर: राजनीतिक और आर्थिक संकट, गोर्बाचेव के सुधार, बाल्टिक देशों की स्वतंत्रता की माँग।
  2. प्रश्न: सोवियत संघ के विघटन का विश्व राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ा?
    उत्तर: अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बना और शीत युद्ध समाप्त हो गया।
  3. प्रश्न: रूस में आर्थिक सुधारों का क्या परिणाम हुआ?
    उत्तर: पूँजीवादी व्यवस्था की स्थापना और आर्थिक असमानता में वृद्धि।
  4. प्रश्न: सोवियत संघ के स्थान पर कौन-से संगठन ने जन्म लिया?
    उत्तर: स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रमंडल (Commonwealth of Independent States – CIS)
  5. रिक्त स्थान भरें:
    • 1991 में सोवियत संघ का विघटन हुआ।
    • रूस ने संयुक्त राष्ट्र में सोवियत संघ की जगह ली।
    • मिखाइल गोर्बाचेव ने ग्लासनोस्त और पेरेस्त्रोइका की शुरुआत की।
    • सोवियत संघ के विघटन के पश्चात रूस ने पूंजीवाद अपनाया।
  6. प्रश्न: शीत युद्ध के बाद की दुनिया में वैश्वीकरण की क्या भूमिका रही?
    उत्तर: आर्थिक खुलापन और उदारीकरण बढ़ा।

अध्याय 3: अमेरिका की प्रधानता का विस्तार

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उत्तर (Objective Questions with Answers)

  1. प्रश्न: अमेरिका को किस कारण “एकमात्र महाशक्ति” कहा गया?
    उत्तर: सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका अकेला महाशक्ति के रूप में उभरा।
  2. प्रश्न: 9/11 की घटना किस देश में हुई थी?
    उत्तर: अमेरिका
  3. प्रश्न: अमेरिकी नेतृत्व में किस देश पर 2001 में हमला किया गया?
    उत्तर: अफगानिस्तान
  4. प्रश्न: “ऑपरेशन इनड्यूरिंग फ्रीडम” किस उद्देश्य से चलाया गया था?
    उत्तर: आतंकवाद के विरुद्ध अमेरिका द्वारा चलाया गया सैन्य अभियान।
  5. प्रश्न: अमेरिका ने 2003 में किस देश पर “पूर्व-प्रसक्रिय युद्ध नीति” के अंतर्गत आक्रमण किया?
    उत्तर: इराक
  6. प्रश्न: अमेरिका की किस संस्था को विश्व बैंक के समान कार्यकारी निकाय कहा जाता है?
    उत्तर: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
  7. रिक्त स्थान भरें:
    • 9/11 की घटना अल कायदा द्वारा की गई थी।
    • इराक पर हमले के समय अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश थे।
    • अमेरिका संयुक्त राष्ट्र में सबसे अधिक अनुदान देने वाला देश है।
    • अमेरिका की विदेश नीति का एक प्रमुख लक्ष्य आतंकवाद से निपटना है।
  8. प्रश्न: अमेरिका की “सॉफ्ट पावर” किस बात को दर्शाती है?
    उत्तर: उसकी संस्कृति, शिक्षा, और लोकतांत्रिक मूल्यों का वैश्विक प्रभाव।

अध्याय 4: वैकल्पिक केंद्रों का उदय

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उत्तर (Objective Questions with Answers)

  1. प्रश्न: यूरोपीय संघ (EU) की स्थापना किस संधि के माध्यम से हुई थी?
    उत्तर: मास्ट्रिख्ट संधि, 1992
  2. प्रश्न: यूरोपीय संघ की मुद्रा का नाम क्या है?
    उत्तर: यूरो
  3. प्रश्न: चीन की “चार आधुनिकीकरण नीति” के जनक कौन थे?
    उत्तर: डेंग शियाओपिंग
  4. प्रश्न: चीन की अर्थव्यवस्था किस वर्ष के बाद तेज़ी से विकसित हुई?
    उत्तर: 1978
  5. प्रश्न: भारत और ASEAN के बीच सहयोग को क्या कहा जाता है?
    उत्तर: लुक ईस्ट नीति
  6. प्रश्न: आसियान (ASEAN) का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
    उत्तर: जकार्ता, इंडोनेशिया
  7. रिक्त स्थान भरें:
    • यूरोपीय संघ एक क्षेत्रीय संगठन है।
    • ASEAN की स्थापना 1967 में हुई थी।
    • चीन की अर्थव्यवस्था निर्यातोन्मुखी है।
    • भारत ने 1991 में उदारीकरण की नीति अपनाई।
  8. प्रश्न: ASEAN की प्रमुख विशेषता क्या है?
    उत्तर: आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना।

अध्याय 5: समकालीन दक्षिण एशिया

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उत्तर (Objective Questions with Answers)

  1. प्रश्न: सार्क (SAARC) की स्थापना कब हुई थी?
    उत्तर: 1985
  2. प्रश्न: SAARC का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
    उत्तर: काठमांडू, नेपाल
  3. प्रश्न: दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा देश कौन-सा है?
    उत्तर: भारत
  4. प्रश्न: श्रीलंका में तमिल समस्या का मुख्य कारण क्या था?
    उत्तर: तमिलों के साथ भेदभाव
  5. प्रश्न: भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे पहला युद्ध कब हुआ?
    उत्तर: 1947-48
  6. प्रश्न: बांग्लादेश किस वर्ष स्वतंत्र हुआ?
    उत्तर: 1971
  7. रिक्त स्थान भरें:
    • नेपाल एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य है।
    • भारत ने मालदीव में लोकतंत्र को समर्थन देने के लिए हस्तक्षेप किया था।
    • भारत और श्रीलंका के बीच तमिल समस्या को लेकर 1987 में समझौता हुआ।
    • भूटान एक संवैधानिक राजतंत्र है।
  8. प्रश्न: SAARC का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    उत्तर: दक्षिण एशियाई देशों के बीच सहयोग और विकास को बढ़ावा देना।

अध्याय 6: शीत युद्ध के बाद की विश्व राजनीति

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उत्तर (Objective Questions with Answers)

  1. प्रश्न: शीत युद्ध के बाद किस एक संस्था को अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की ज़िम्मेदारी दी गई?
    उत्तर: संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO)
  2. प्रश्न: संयुक्त राष्ट्र के कौन-कौन से अंग सुरक्षा से संबंधित हैं?
    उत्तर: सुरक्षा परिषद, महासभा, शांति रक्षा बल
  3. प्रश्न: ‘ब्लू हेलमेट’ किसके प्रतीक हैं?
    उत्तर: संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक सैनिक
  4. प्रश्न: विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना कब हुई थी?
    उत्तर: 1995
  5. प्रश्न: “ग्लोबल वार्मिंग” किस प्रकार की समस्या है?
    उत्तर: पर्यावरणीय
  6. प्रश्न: “MDGs” का पूर्ण रूप क्या है?
    उत्तर: Millennium Development Goals
  7. रिक्त स्थान भरें:
    • संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 1945 में हुई।
    • ‘ब्लू हेलमेट्स’ संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिक होते हैं।
    • MDGs को 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वीकृति दी थी।
    • पर्यावरणीय संकटों में जलवायु परिवर्तन सबसे प्रमुख है।
  8. प्रश्न: शीत युद्ध के बाद वैश्विक राजनीति में कौन से नए मुद्दे उभर कर आए?
    उत्तर: आतंकवाद, पर्यावरणीय संकट, आर्थिक वैश्वीकरण, मानव अधिकार

अध्याय 7: समकालीन विश्व में सुरक्षा

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उत्तर (Objective Questions with Answers)

  1. प्रश्न: सुरक्षा के पारंपरिक दृष्टिकोण में क्या शामिल होता है?
    उत्तर: सैन्य ताकत, क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा, युद्ध की संभावना
  2. प्रश्न: गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों का एक उदाहरण क्या है?
    उत्तर: आतंकवाद
  3. प्रश्न: मानव सुरक्षा में मुख्य रूप से क्या केंद्रित रहता है?
    उत्तर: व्यक्ति की सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता
  4. प्रश्न: HIV/AIDS किस प्रकार की सुरक्षा चुनौती है?
    उत्तर: स्वास्थ्य संबंधी गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौती
  5. प्रश्न: “जलवायु परिवर्तन” को किस प्रकार की सुरक्षा चुनौती माना जाता है?
    उत्तर: पर्यावरणीय सुरक्षा चुनौती
  6. प्रश्न: सुरक्षा के गैर-पारंपरिक स्रोतों में कौन-कौन से मुद्दे शामिल हैं?
    उत्तर: मानव अधिकार, स्वास्थ्य, पर्यावरण, प्रवासन
  7. रिक्त स्थान भरें:
    • पारंपरिक सुरक्षा में सैन्य बल प्रमुख होता है।
    • पर्यावरण सुरक्षा में जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
    • मानव सुरक्षा का ध्यान व्यक्ति के जीवन की रक्षा पर होता है।
    • आतंकवाद आधुनिक समय की सबसे गंभीर सुरक्षा चुनौती है।
  8. प्रश्न: समकालीन सुरक्षा की अवधारणा कैसे बदल रही है?
    उत्तर: अब केवल सैन्य बल नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और मानव कल्याण भी सुरक्षा का हिस्सा हैं।

अध्याय 8: पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की राजनीति

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उत्तर (Objective Questions with Answers)

  1. प्रश्न: 1992 का पृथ्वी शिखर सम्मेलन (Earth Summit) कहाँ आयोजित हुआ था?
    उत्तर: रियो डी जेनेरियो, ब्राज़ील
  2. प्रश्न: “जलवायु परिवर्तन” किस प्रकार की समस्या है?
    उत्तर: वैश्विक पर्यावरणीय समस्या
  3. प्रश्न: कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए कौन-सी संधि प्रसिद्ध है?
    उत्तर: क्योटो प्रोटोकॉल
  4. प्रश्न: सतत विकास (Sustainable Development) का अर्थ क्या है?
    उत्तर: पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना आर्थिक विकास करना
  5. प्रश्न: “मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल” का संबंध किससे है?
    उत्तर: ओज़ोन परत की सुरक्षा
  6. प्रश्न: संयुक्त राष्ट्र द्वारा “जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति (IPCC)” की स्थापना कब की गई?
    उत्तर: 1988
  7. रिक्त स्थान भरें:
    • सतत विकास के लिए पर्यावरण और विकास का संतुलन आवश्यक है।
    • जलवायु परिवर्तन से समुद्र स्तर बढ़ता है और मौसम अस्थिर होता है।
    • क्योटो प्रोटोकॉल 1997 में अपनाया गया था।
    • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ओज़ोन परत की रक्षा के लिए है।
  8. प्रश्न: पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के लिए भारत ने कौन-से प्रमुख कदम उठाए हैं?
    उत्तर: पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, वन नीति, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा

अध्याय 9: वैश्वीकरण

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उत्तर (Objective Questions with Answers)

  1. प्रश्न: वैश्वीकरण का अर्थ क्या है?
    उत्तर: दुनिया के देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और राजनीतिक संबंधों का विस्तार
  2. प्रश्न: वैश्वीकरण की प्रक्रिया को किसने सबसे अधिक गति दी?
    उत्तर: सूचना और संचार प्रौद्योगिकी में विकास
  3. प्रश्न: ‘वैश्विक गाँव’ की अवधारणा किसने दी थी?
    उत्तर: मार्शल मैकलुहान
  4. प्रश्न: भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत कब हुई?
    उत्तर: 1991
  5. प्रश्न: वैश्वीकरण का कौन-सा पक्ष विकसित देशों को अधिक लाभ पहुंचाता है?
    उत्तर: मुक्त व्यापार और निवेश की सुविधा
  6. प्रश्न: ‘विश्व व्यापार संगठन’ (WTO) का उद्देश्य क्या है?
    उत्तर: वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देना और व्यापार विवादों का समाधान
  7. रिक्त स्थान भरें:
    • वैश्वीकरण से सांस्कृतिक विविधता पर असर पड़ता है।
    • 1991 में भारत ने नई आर्थिक नीति अपनाई।
    • बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वैश्वीकरण की मुख्य वाहक हैं।
    • वैश्वीकरण से अवसर और चुनौतियाँ दोनों उत्पन्न होती हैं।
  8. प्रश्न: वैश्वीकरण की आलोचना क्यों की जाती है?
    उत्तर: इससे आर्थिक असमानता, सांस्कृतिक एकरूपता और छोटे उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

अध्याय 10: विचारधाराएँ और भारतीय राजनीति

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उत्तर (Objective Questions with Answers)

  1. प्रश्न: भारतीय संविधान (Indian Constitution) का कौन-सा भाग समाजवादी विचारधारा को दर्शाता है?
    उत्तर: नीति निदेशक सिद्धांत (भाग IV)
  2. प्रश्न: भारतीय राजनीति में “समाजवाद” शब्द का प्रयोग पहली बार कहाँ हुआ था?
    उत्तर: संविधान (Indian Constitution) की प्रस्तावना में 42वें संशोधन (1976) के द्वारा
  3. प्रश्न: ‘बहुलवाद’ का अर्थ क्या है?
    उत्तर: विविध मतों, संस्कृतियों और पहचानों का सह-अस्तित्व
  4. प्रश्न: ‘धर्मनिरपेक्षता’ का भारतीय संदर्भ में क्या अर्थ है?
    उत्तर: राज्य का किसी धर्म को न अपनाना और सभी धर्मों को समान मानना
  5. प्रश्न: राष्ट्रवाद की भारतीय अवधारणा किस पर आधारित है?
    उत्तर: विविधता में एकता और सांस्कृतिक सहिष्णुता
  6. प्रश्न: भारत में किस राजनीतिक दल ने ‘समाजवाद’ को प्रमुख वैचारिक आधार बनाया?
    उत्तर: भारतीय समाजवादी पार्टी / समाजवादी धारा के दल
  7. रिक्त स्थान भरें:
    • भारतीय राजनीति में विचारधाराएँ नीति निर्माण को प्रभावित करती हैं।
    • गांधीजी की विचारधारा अहिंसा और सत्य पर आधारित थी।
    • भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है।
    • राष्ट्रवाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य आधार था।
  8. प्रश्न: आधुनिक भारतीय राजनीति में विचारधाराओं की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?
    उत्तर: ये राजनीतिक दलों के दृष्टिकोण, नीतियों और जनसमर्थन को प्रभावित करती हैं।

घटनाओं की तिथि और स्थान (सभी अध्यायों से चयनित प्रमुख घटनाएँ)

अध्याय 1: शीत युद्ध का दौर

  • शीत युद्ध की शुरुआत: 1945 (द्वितीय विश्व युद्ध के बाद)
  • NAM (गुट-निरपेक्ष आंदोलन) की पहली शिखर बैठक: 1961, बेलग्रेड (यूगोस्लाविया)

अध्याय 2: दो ध्रुवीयता का अंत

  • सोवियत संघ का विघटन: 26 दिसंबर 1991
  • गोर्बाचेव द्वारा पेरेस्त्रोइका और ग्लासनोस्त की शुरुआत: 1985
  • CIS (राष्ट्रमंडल स्वतंत्र देशों का गठन): 1991

अध्याय 3: अमेरिका की प्रधानता का विस्तार

  • 9/11 हमला: 11 सितंबर 2001, न्यूयॉर्क और वाशिंगटन डी.सी. (अमेरिका)
  • अफगानिस्तान पर अमेरिका का हमला: अक्तूबर 2001
  • इराक युद्ध की शुरुआत: मार्च 2003

अध्याय 4: वैकल्पिक केंद्रों का उदय

  • EU (यूरोपीय संघ) की स्थापना: 1 नवंबर 1993, मास्ट्रिख्ट संधि के माध्यम से
  • ASEAN की स्थापना: 8 अगस्त 1967, बैंकॉक (थाईलैंड)
  • चीन में आर्थिक सुधारों की शुरुआत: 1978 (डेंग शियाओपिंग के नेतृत्व में)

अध्याय 5: समकालीन दक्षिण एशिया

  • SAARC की स्थापना: 8 दिसंबर 1985, ढाका (बांग्लादेश)
  • बांग्लादेश का स्वतंत्रता दिवस: 26 मार्च 1971
  • भारत-पाकिस्तान पहला युद्ध: 1947–48
  • श्रीलंका में सिविल वॉर की शुरुआत: 1983

अध्याय 6: शीत युद्ध के बाद की विश्व राजनीति

  • संयुक्त राष्ट्र की स्थापना: 24 अक्टूबर 1945, सैन फ्रांसिस्को (USA)
  • WTO की स्थापना: 1 जनवरी 1995, जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड)
  • Millennium Development Goals (MDGs) का आरंभ: सितंबर 2000, संयुक्त राष्ट्र महासभा

अध्याय 7: समकालीन विश्व में सुरक्षा

  • मानव सुरक्षा की अवधारणा का विकास: 1994, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) रिपोर्ट
  • NPT (परमाणु अप्रसार संधि): 1 जुलाई 1968 को हस्ताक्षर, 1970 से प्रभावी

अध्याय 8: पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की राजनीति

  • Earth Summit (पृथ्वी सम्मेलन): जून 1992, रियो डी जेनेरियो (ब्राज़ील)
  • Kyoto Protocol पर हस्ताक्षर: 11 दिसंबर 1997, क्योटो (जापान)
  • Montreal Protocol: 16 सितंबर 1987, मॉन्ट्रियल (कनाडा)
  • IPCC की स्थापना: 1988, संयुक्त राष्ट्र द्वारा

अध्याय 9: वैश्वीकरण

  • भारत में नई आर्थिक नीति लागू: जुलाई 1991
  • WTO का गठन: 1 जनवरी 1995
  • IMF और विश्व बैंक की स्थापना: जुलाई 1944, ब्रेटन वुड्स सम्मेलन (USA)

अध्याय 10: विचारधाराएँ और भारतीय राजनीति

  • 42वाँ संविधान संशोधन (समाजवादी, पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़े गए): 1976
  • भारतीय संविधान अंगीकरण: 26 नवम्बर 1949
  • गांधी जी द्वारा “हिंद स्वराज” का प्रकाशन: 1909, दक्षिण अफ्रीका

अध्याय 1: भारतीय संविधान (Indian Constitution) की विकास यात्रा

प्रश्न 1: भारतीय संविधान किन तीन प्रमुख अंगों की स्थापना करता है?

उत्तर: कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका।

प्रश्न 2: 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: इस एक्ट के माध्यम से पहली बार कंपनी के शासन के लिए एक लिखित संविधान प्रस्तुत किया गया और गवर्नर जनरल की नियुक्ति हुई।

प्रश्न 3: संविधान सभा की स्थापना किस योजना के तहत हुई थी?

उत्तर: कैबिनेट मिशन योजना, 1946।

प्रश्न 4: भारतीय संविधान सभा का पहला अधिवेशन कब हुआ था?

उत्तर: 9 दिसंबर, 1946 को।

प्रश्न 5: भारतीय संविधान को अंगीकार कब किया गया था?

उत्तर: 26 नवंबर, 1949 को।

अध्याय 3: प्रस्तावना (Preamble)

प्रश्न 6: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को कब अपनाया गया था?

उत्तर: 26 नवम्बर 1949 को।

प्रश्न 7: 42वें संविधान संशोधन, 1976 द्वारा प्रस्तावना में कौन-कौन से शब्द जोड़े गए?

उत्तर: समाजवादी (Socialist), पंथनिरपेक्ष (Secular) और अखंडता (Integrity)।

अध्याय 5: नागरिकता (Citizenship)

प्रश्न 8: भारतीय संविधान में नागरिकता से संबंधित प्रावधान किस भाग में दिए गए हैं?

उत्तर: भाग 2 (अनुच्छेद 5 से 11 तक)।

प्रश्न 9: भारत में कितने प्रकार की नागरिकता है?

उत्तर: एकल नागरिकता।

अध्याय 6: मूल अधिकार (Fundamental Rights)

प्रश्न 10: मूल अधिकारों को भारतीय संविधान (Indian Constitution) में किस भाग में रखा गया है?

उत्तर: भाग III (अनुच्छेद 12 से 35 तक)।

प्रश्न 11: अनुच्छेद 14 किससे संबंधित है?

उत्तर: कानून के समक्ष समानता (Equality before Law)।

प्रश्न 12: कौन-सा अनुच्छेद धर्म की स्वतंत्रता देता है?

उत्तर: अनुच्छेद 25

 भारतीय संविधान  (Indian Constitution):

भाग 1: प्रस्तावना और भूमिका

  1. संविधान क्या है?
  2. भारतीय संविधान की आवश्यकता क्यों पड़ी?
  3. संविधान निर्माण से पूर्व भारत की स्थिति
  4. संविधान की परिभाषा, महत्व, और भूमिका

भाग 2: संविधान निर्माण की प्रक्रिया

  1. संविधान सभा की स्थापना
  2. डॉ. भीमराव अंबेडकर की भूमिका
  3. संविधान निर्माण में प्रमुख समितियाँ
  4. प्रारूप समिति का गठन
  5. संविधान सभा की चर्चाएं व बहसें
  6. अंतिम रूप में संविधान को अंगीकृत करने की प्रक्रिया

भाग 3: भारतीय संविधान की विशेषताएँ

  1. संविधान की विशालता और लचीलापन
  2. धर्मनिरपेक्षता
  3. संघात्मक ढांचा
  4. न्यायिक पुनरावलोकन
  5. मौलिक अधिकार और कर्तव्य
  6. नीति निदेशक तत्व
  7. नागरिकता
  8. संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण

भाग 4: संविधान की प्रमुख धाराएँ और अनुच्छेद

  1. संविधान के प्रमुख अनुच्छेदों की व्याख्या
  2. मूल अधिकार: अनुच्छेद 12–35
  3. नीति निदेशक तत्व: अनुच्छेद 36–51
  4. मूल कर्तव्य: अनुच्छेद 51(A)
  5. संघ की कार्यप्रणाली: राष्ट्रपति, संसद, मंत्रिपरिषद
  6. न्यायपालिका की संरचना
  7. राज्य की कार्यप्रणाली

भाग 5: संविधान के महत्वपूर्ण संशोधन

  1. पहला संविधान संशोधन, 1951
  2. 42वाँ संशोधन (मूल संरचना विवाद)
  3. 44वाँ, 52वाँ, 73वाँ, 74वाँ, 86वाँ संशोधन
  4. 103वाँ संशोधन: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण
  5. संविधान में बदलावों का प्रभाव

भाग 6: संविधान और न्यायपालिका

  1. सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका
  2. न्यायिक सक्रियता
  3. PIL (जनहित याचिका)
  4. मौलिक अधिकारों की रक्षा
  5. केशवानंद भारती केस और मूल संरचना सिद्धांत

भाग 7: संविधान का समाज पर प्रभाव

  1. समाज में समानता और समरसता
  2. जाति, धर्म और भाषा के आधार पर समरसता
  3. महिला अधिकारों का संवैधानिक संरक्षण
  4. दलित, पिछड़ा वर्ग और आदिवासी सशक्तिकरण
  5. शिक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों की स्थिति

भाग 8: समकालीन मुद्दे और संविधान

  1. संवैधानिक चुनौतियाँ: नागरिकता संशोधन अधिनियम, UCC
  2. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम राष्ट्रहित
  3. आपातकालीन शक्तियाँ और दुरुपयोग
  4. संविधान की प्रासंगिकता आज के भारत में

भाग 9: अंतरराष्ट्रीय तुलना

  1. भारतीय संविधान (Indian Constitution) बनाम अमेरिकी संविधान
  2. ब्रिटिश संवैधानिक परंपराएँ और भारत
  3. अन्य देशों से ग्रहण किए गए तत्व

भाग 10: निष्कर्ष

  1. संविधान की सफलता की कहानी
  2. भविष्य की संभावनाएँ
  3. संविधान को जीवंत बनाए रखने का दायित्व

भारतीय संविधान (Indian Constitution) : प्रस्तावना और उसकी भूमिका

भूमिका:

भारत का संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह उस महान स्वप्न का मूर्त रूप है जो आज़ादी की लड़ाई के दौरान देश के नेताओं और आम नागरिकों ने देखा था — एक ऐसा राष्ट्र जो स्वतंत्र, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और न्यायप्रिय हो। भारतीय संविधान न केवल शासन की आधारशिला है, बल्कि यह नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों का संरक्षक भी है।

संविधान को एक जीवंत दस्तावेज कहा जाता है, क्योंकि यह समय के साथ बदलने, बढ़ने और अनुकूल होने की क्षमता रखता है। इसकी प्रस्तावना में समाहित शब्द “हम भारत के लोग” भारतीय लोकतंत्र की आत्मा को दर्शाते हैं।

संविधान क्या है?

संविधान किसी राष्ट्र का मूलभूत कानून होता है, जो शासन व्यवस्था की संरचना, कार्यप्रणाली और अधिकार-कर्तव्य का निर्धारण करता है। यह यह तय करता है कि सरकार कैसे कार्य करेगी, नागरिकों को क्या अधिकार प्राप्त होंगे और सरकार की शक्तियाँ सीमित कैसे की जाएंगी।

दुनिया के हर देश का कोई न कोई संविधान होता है — लिखित या अलिखित। भारत का संविधान लिखित और सबसे लंबा संविधान है जो विविधता में एकता, अधिकारों की सुरक्षा और न्यायिक संरचना की विशेषता रखता है।

भारतीय संविधान (Indian Constitution) की आवश्यकता क्यों पड़ी?

जब भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ, तो देश के सामने कई चुनौतियाँ थीं:

  • विविधता से भरे समाज को एकता के सूत्र में बाँधना
  • एक सशक्त, लोकतांत्रिक शासन की नींव रखना
  • नागरिकों के मूल अधिकारों की गारंटी देना
  • जाति, धर्म, भाषा, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव को समाप्त करना

इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक ऐसे संविधान की आवश्यकता थी जो न केवल भारत की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विविधताओं को समाहित करे, बल्कि एक आधुनिक, प्रगतिशील और न्यायपूर्ण समाज की संरचना भी करे।

संविधान की प्रस्तावना (Preamble) की महत्ता

भारतीय संविधान की प्रस्तावना इसका सार है — यह यह बताती है कि संविधान किन आदर्शों पर आधारित है और राष्ट्र किन मूल्यों को स्वीकार करता है।

प्रस्तावना के प्रमुख तत्व:

“हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को:
न्याय — सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक;
स्वतंत्रता — विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की;
समानता — स्थिति और अवसर की;
भाईचारा — व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करनेवाली;
बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर, अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”

यह प्रस्तावना भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है, जो सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार, स्वतंत्रता और न्याय सुनिश्चित करने का वादा करती है।

संविधान के निर्माण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत में संविधान निर्माण की सोच अचानक नहीं आई। इसके पीछे कई ऐतिहासिक चरण रहे:

  1. 1858 के बाद जब ब्रिटिश शासन ने सत्ता संभाली, तब भारत को शासित करने के लिए विभिन्न अधिनियम बनाए गए — जैसे 1861, 1892, 1909, 1919 और 1935 के अधिनियम।
  2. 1935 का भारत सरकार अधिनियम भारत के संविधान के लिए एक प्रारंभिक ढांचा था, जिसमें केंद्र-राज्य संबंध, न्यायिक प्रणाली और प्रशासनिक ढांचे को शामिल किया गया था।
  3. 1946 में संविधान सभा का गठन हुआ, जिसने 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन की मेहनत के बाद भारत का संविधान तैयार किया।

संविधान (Indian Constitution) निर्माण की प्रेरणा: विदेशी संविधान

भारतीय संविधान निर्माताओं ने विश्व के अनेक संविधानों से प्रेरणा ली और उन्हें भारतीय परिप्रेक्ष्य में ढालकर अपनाया। उदाहरण:

  • अमेरिका से — मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन
  • ब्रिटेन से — संसदीय प्रणाली
  • आयरलैंड से — नीति निदेशक तत्व
  • जर्मनी से — आपातकालीन प्रावधान
  • ऑस्ट्रेलिया से — संघीय व्यवस्था और समवर्ती सूची

इस प्रकार यह संविधान ‘Borrowed but Indianized’ (ग्रहण किया गया लेकिन भारतीय सन्दर्भ में ढाला गया) दस्तावेज है।

भारतीय संविधान (Indian Constitution) के उद्देश्य

भारतीय संविधान का उद्देश्य स्पष्ट है:

  • प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता, समानता और न्याय का अधिकार देना
  • शासन को जवाबदेह बनाना
  • जाति, धर्म, लिंग, भाषा के आधार पर भेदभाव समाप्त करना
  • राष्ट्र की एकता, अखंडता और संप्रभुता बनाए रखना
  • लोकतंत्र और विधि के शासन की स्थापना करना

संविधान की भूमिका: आज और कल

संविधान केवल शासन के लिए नियमों का संकलन नहीं है, बल्कि यह समाज में नैतिक, वैचारिक और सामाजिक दिशा भी तय करता है।

आज:

  • संविधान हर नागरिक को उसकी पहचान और अधिकार देता है।
  • यह अल्पसंख्यकों की रक्षा करता है।
  • यह मीडिया की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।
  • यह लोकतंत्र की भावना को जीवित रखता है।

भविष्य में:

  • संविधान को नई चुनौतियों (डिजिटल अधिकार, डेटा संरक्षण, पर्यावरणीय अधिकार आदि) से निपटने के लिए और भी सक्रिय बनाना होगा।

संविधान (Indian Constitution) की प्रस्तावना और भूमिका – 

  1. संविधान क्या है?
    यह देश की सर्वोच्च विधिक पुस्तक है जो शासन की व्यवस्था, नागरिकों के अधिकार व कर्तव्यों, और सत्ता के विभाजन को तय करती है।
  2. भारतीय संविधान की आवश्यकता:
    स्वतंत्रता के बाद भारत को एकता, समानता, लोकतंत्र और न्याय आधारित शासन के लिए एक मजबूत संविधान की जरूरत थी।
  3. प्रस्तावना का महत्व:
    संविधान की प्रस्तावना में बताया गया है कि भारत एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। यह न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे की बात करता है।
  4. संविधान निर्माण:
    संविधान सभा का गठन 1946 में हुआ। डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में लगभग 3 साल में संविधान बना। 26 नवंबर 1949 को इसे स्वीकार किया गया और 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ।
  5. संविधान की भूमिका:
    यह नागरिकों को अधिकार देता है, शासन को दिशा देता है और न्याय, स्वतंत्रता और समानता सुनिश्चित करता है।
  6. निष्कर्ष:
    भारतीय संविधान न केवल कानूनी दस्तावेज है, बल्कि यह लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय एकता की नींव भी है।

भाग 2: संविधान (Indian Constitution) निर्माण की प्रक्रिया – 

  1. संविधान सभा का गठन:
    1946 में संविधान सभा का गठन हुआ, जिसमें विभिन्न प्रांतों और रियासतों से कुल 299 सदस्य चुने गए। इसका उद्देश्य था – भारत के लिए एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक संविधान बनाना।
  2. महत्वपूर्ण नेता:
    डॉ. भीमराव अंबेडकर को प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया। इसके अलावा पंडित नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आज़ाद, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे नेता भी इसमें शामिल थे।
  3. प्रारूप समिति:
    7 सदस्यीय प्रारूप समिति ने संविधान का मसौदा तैयार किया। इस मसौदे पर संविधान सभा में बहस हुई और बदलाव किए गए।
  4. बैठकों और बहसों की प्रक्रिया:
    संविधान सभा ने 2 साल, 11 महीने, 18 दिन तक 11 सत्रों में 165 से अधिक दिन बहस की। सभी मुद्दों पर गहराई से चर्चा की गई।
  5. संविधान का अंगीकरण:
    26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अंगीकृत किया और 26 जनवरी 1950 को यह पूरे देश में लागू हुआ। इस दिन को हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
  6. विशेषताएँ:
    • यह संविधान भारतीय समाज की विविधता और एकता को दर्शाता है।
    • इसमें विदेशी संविधानों से प्रेरणा लेकर भारतीय संदर्भ में सुधार किए गए।
    • यह दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।

भाग 3: भारतीय संविधान (Indian Constitution) की विशेषताएँ – 

  1. लिखित और सबसे बड़ा संविधान:
    भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसमें 25 भाग, 12 अनुसूचियाँ और 470 से अधिक अनुच्छेद हैं।
  2. संघात्मक व्यवस्था (Federalism):
    भारत में केंद्र और राज्यों के बीच सत्ता का विभाजन है, लेकिन केंद्र को कुछ अधिक शक्तियाँ प्राप्त हैं।
  3. लोकतांत्रिक प्रणाली:
    भारत में जनता के द्वारा चुनी गई सरकार होती है — “जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन”।
  4. धर्मनिरपेक्षता:
    भारत का कोई राजधर्म नहीं है। हर नागरिक को किसी भी धर्म को मानने, अपनाने और प्रचार करने की स्वतंत्रता है।
  5. समाजवादी लक्ष्य:
    संविधान समान अवसर, आर्थिक न्याय और संसाधनों के समान वितरण को बढ़ावा देता है।
  6. न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review):
    अदालतें यह तय कर सकती हैं कि कोई कानून संविधान के अनुसार है या नहीं। यदि नहीं, तो वह अमान्य हो सकता है।
  7. मौलिक अधिकार और कर्तव्य:
    नागरिकों को जैसे – जीवन, स्वतंत्रता, समानता, शिक्षा जैसे अधिकार मिलते हैं और साथ ही कुछ कर्तव्यों का पालन करना भी आवश्यक होता है।
  8. गणराज्य (Republic):
    भारत का सर्वोच्च पद — राष्ट्रपति — जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाता है, न कि किसी राजा या वंशानुक्रम से।
  9. संविधान में संशोधन की प्रक्रिया:
    समय के अनुसार संविधान को संशोधित किया जा सकता है, जिससे यह एक लचीला दस्तावेज बनता है।

भाग 4: संविधान (Indian Constitution) के प्रमुख अनुच्छेद – 

1. मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) – अनुच्छेद 12 से 35

भारत के नागरिकों को 6 प्रमुख अधिकार दिए गए हैं:

  • स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19)
  • समता का अधिकार (अनुच्छेद 14–18)
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23–24)
  • धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25–28)
  • संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29–30)
  • संविधानिक उपचार का अधिकार (अनुच्छेद 32) – जिसे “संविधान का आत्मा” भी कहा गया है

2. नीति निदेशक तत्व (Directive Principles) – अनुच्छेद 36 से 51

ये सरकार को सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में मार्गदर्शन देते हैं, जैसे:

  • समान वेतन
  • बाल श्रम निषेध
  • ग्राम पंचायतों को बढ़ावा
  • पर्यावरण सुरक्षा
  • शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था

3. मूल कर्तव्य (Fundamental Duties) – अनुच्छेद 51(A)

हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह:

  • संविधान (Indian Constitution) का पालन करे
  • राष्ट्रगान और झंडे का सम्मान करे
  • महिला-सम्मान, भाईचारा और एकता बनाए रखे
  • पर्यावरण और सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करे

4. अन्य प्रमुख अनुच्छेद:

  • अनुच्छेद 14: समानता का अधिकार
  • अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
  • अनुच्छेद 32: सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का अधिकार
  • अनुच्छेद 370 (अब हटाया गया): जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा
  • अनुच्छेद 356: राष्ट्रपति शासन की घोषणा

भाग 5: संविधान (Indian Constitution) के महत्वपूर्ण संशोधन –

भारतीय संविधान को समय के साथ अधिक व्यवहारिक और समसामयिक बनाने के लिए कई बार संशोधित किया गया है। अब तक 100+ संशोधन हो चुके हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:

1. पहला संशोधन (1951)

  • उद्देश्य: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुछ सीमाओं में बाँधना
  • प्रभाव: सरकार ने भूमि सुधार कानूनों को न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिए ‘नौवीं अनुसूची’ जोड़ी।

42वाँ संशोधन (1976) – “मिनी संविधान”

  • आपातकाल के समय किया गया।
  • प्रस्तावना में “समाजवादी”, “धर्मनिरपेक्ष” और “राष्ट्रीय एकता” शब्द जोड़े गए।
  • न्यायपालिका की शक्तियाँ सीमित की गईं।
  • केंद्र की शक्ति बढ़ाई गई।

44वाँ संशोधन (1978)

  • 42वें संशोधन की कई बातों को बदला गया।
  • अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) को मज़बूत किया गया।
  • आपातकाल लगाने के नियमों को कठोर बनाया गया।

52वाँ संशोधन (1985) – दल-बदल कानून

  • यदि कोई सांसद/विधायक पार्टी बदलता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो सकती है।

73वाँ और 74वाँ संशोधन (1992)

  • पंचायतों और नगर निकायों को संवैधानिक दर्जा मिला।
  • स्थानीय स्वशासन की शुरुआत।

86वाँ संशोधन (2002)

  • 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अनिवार्य बनाया गया (अनुच्छेद 21A)।

103वाँ संशोधन (2019)

  • EWS आरक्षण: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10% आरक्षण की व्यवस्था।

अन्य उल्लेखनीय संशोधन:

  • 61वाँ संशोधन: वोट देने की उम्र 21 से घटाकर 18 वर्ष की गई।
  • 101वाँ संशोधन: GST (वस्तु एवं सेवा कर) की शुरुआत।

भाग 6: संविधान (Indian Constitution) और न्यायपालिका – संक्षेप में

1. न्यायपालिका की भूमिका:

भारतीय न्यायपालिका संविधान की संरक्षक है। यह यह सुनिश्चित करती है कि:

  • कानून संविधान (Indian Constitution) के अनुरूप हों
  • नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा हो
  • सरकार अपने अधिकारों का दुरुपयोग न करे

2. न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review):

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पास यह अधिकार है कि वे किसी कानून को संविधान के खिलाफ पाए जाने पर रद्द कर सकते हैं।

3. जनहित याचिका (PIL):

कोई भी नागरिक या संगठन किसी सार्वजनिक हित के मुद्दे पर सीधे सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है। यह न्यायपालिका को जनता से जोड़ता है।

4. केशवानंद भारती मामला (1973):

  • इस ऐतिहासिक केस में “मूल संरचना सिद्धांत (Basic Structure Doctrine)” स्थापित हुआ।
  • कोर्ट ने कहा कि संसद संविधान में संशोधन तो कर सकती है, लेकिन संविधान की मूल आत्मा को नहीं बदल सकती।

5. न्यायपालिका की स्वतंत्रता:

न्यायपालिका पूरी तरह स्वतंत्र होती है। कार्यपालिका (सरकार) और विधायिका (संसद) इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती। यह स्वतंत्रता लोकतंत्र का मूल स्तंभ है।

6. महत्वपूर्ण संस्थान:

  • सुप्रीम कोर्ट: देश की सर्वोच्च अदालत, अनुच्छेद 124 के तहत स्थापित।
  • हाई कोर्ट: प्रत्येक राज्य में एक या अधिक उच्च न्यायालय।
  • न्यायिक सक्रियता: जब अदालत खुद ही किसी मामले में हस्तक्षेप कर सुधार का आदेश देती है।

भाग 7: संविधान (Indian Constitution) का समाज पर प्रभाव – संक्षेप में

1. समानता और सामाजिक न्याय:

संविधान ने जाति, धर्म, लिंग, भाषा आदि के आधार पर भेदभाव को अवैध ठहराया। यह समाज में समान अवसर और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है।

2. दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग सशक्तिकरण:

  • अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों को आरक्षण व संरक्षण प्रदान किया गया।
  • शिक्षा, नौकरियों और राजनीति में भागीदारी सुनिश्चित की गई।

3. महिला सशक्तिकरण:

  • समान वेतन, शिक्षा, काम के अधिकार और राजनीतिक आरक्षण (पंचायती राज में 33%) जैसे प्रावधान महिलाओं को मजबूत करते हैं।
  • बाल विवाह, दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या जैसे मुद्दों के खिलाफ कानून बने।

4. शिक्षा और स्वास्थ्य:

  • संविधान (Indian Constitution) के 86वें संशोधन ने 6 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया (अनुच्छेद 21A)।
  • नीति निदेशक तत्वों में स्वास्थ्य, पोषण और जीवन स्तर की बात की गई है।

5. धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक स्वतंत्रता:

भारत में हर नागरिक को अपना धर्म चुनने, मानने और प्रचार करने की स्वतंत्रता है। यह विविध धर्मों के बीच सह-अस्तित्व को बढ़ाता है।

6. भाषा और संस्कृति की रक्षा:

अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, संस्कृति और शिक्षण संस्थान स्थापित करने का अधिकार दिया गया है (अनुच्छेद 29–30)।

7. समाज में चेतना और अधिकारों की जागरूकता:

संविधान ने नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाया है। अब लोग अपने हक के लिए अदालत तक जाते हैं।

निष्कर्ष:
भारतीय संविधान (Indian Constitution) ने समाज को एक न्यायपूर्ण, समावेशी और समानाधिकार आधारित दिशा दी है। यह केवल सरकार के लिए नहीं, बल्कि हर नागरिक के लिए एक मार्गदर्शक ग्रंथ बन चुका है।

भाग 8: समकालीन मुद्दे और संविधान (Indian Constitution) – 

1. नागरिकता और CAA – NRC विवाद:

  • नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) जैसे कानूनों ने संविधान (Indian Constitution) में समानता और धर्मनिरपेक्षता की धाराओं पर बहस को जन्म दिया।
  • आलोचकों का मानना है कि इससे धार्मिक आधार पर भेदभाव होता है।

2. एकल नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC):

  • यह प्रस्ताव करता है कि सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून हो, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों।
  • हालांकि यह समाज में समानता और आधुनिकता को बढ़ावा देगा, लेकिन धार्मिक स्वतंत्रता और परंपरा पर सवाल भी खड़े करता है।

3. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम राष्ट्रहित:

  • सोशल मीडिया और इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे और राष्ट्र सुरक्षा के बीच टकराव बढ़ा है।
  • कई बार धारा 124A (देशद्रोह) या आईटी अधिनियम के तहत मुकदमे दर्ज होते हैं, जिन पर संवैधानिक मूल्यांकन जरूरी है।

4. डेटा संरक्षण और डिजिटल अधिकार:

  • नागरिकों की निजता का अधिकार (Right to Privacy) अब एक मौलिक अधिकार है (Puttaswamy केस, 2017)।
  • डिजिटल युग में डेटा सुरक्षा को लेकर नया कानून और संवैधानिक सुरक्षा आवश्यक हो गया है।

5. पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन:

  • संविधान में अनुच्छेद 48A और अनुच्छेद 51A(g) के तहत पर्यावरण की रक्षा की बात की गई है।
  • लेकिन प्रदूषण, जंगलों की कटाई, और जल संकट जैसे मुद्दे बढ़ते जा रहे हैं।

6. लैंगिक समानता और LGBTQ+ अधिकार:

  • सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को असंवैधानिक करार देते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया।
  • अब LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों को लेकर नया संवैधानिक विमर्श हो रहा है।

भाग 9: भारतीय संविधान (Indian Constitution) की अंतरराष्ट्रीय तुलना – संक्षेप में

1. अमेरिका के संविधान (Indian Constitution) से तुलना:

बिंदुभारतअमेरिका
संविधान (Indian Constitution)सबसे लंबा और विस्तारपूर्णसबसे छोटा लिखित संविधान
सरकारी व्यवस्थासंसदीय लोकतंत्रराष्ट्रपति प्रणाली
संविधान (Indian Constitution) में संशोधनआसान नहींअपेक्षाकृत कठिन
न्यायिक पुनरावलोकनउपलब्धप्रमुख सिद्धांत
मौलिक अधिकारअनुच्छेद 12–35 में वर्णितबिल ऑफ राइट्स में

2. ब्रिटेन से तुलना:

बिंदुभारतब्रिटेन
संविधान (Indian Constitution)लिखित और व्यवस्थितअलिखित और परंपराओं पर आधारित
सरकारी ढांचालोकतांत्रिक गणराज्यसंवैधानिक राजतंत्र
न्यायपालिकास्वतंत्र और शक्तिशालीसंसद सर्वोच्च है

3. आयरलैंड से तुलना:

  • भारत ने नीति निदेशक तत्वों (DPSP) की प्रेरणा आयरलैंड से ली।
  • दोनों देशों का उद्देश्य सामाजिक न्याय और कल्याणकारी राज्य बनाना है।

4. ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से प्रभाव:

  • समवर्ती सूची (Concurrent List) और नागरिकों के बीच समान संरक्षण की व्यवस्था ऑस्ट्रेलिया से ली गई।
  • केंद्र-राज्य संबंध और संघीय संरचना का मॉडल कनाडा से प्रेरित है।

5. जर्मनी और दक्षिण अफ्रीका से:

  • आपातकालीन प्रावधानों का ढाँचा जर्मनी से लिया गया।
  • सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों की भावना दक्षिण अफ्रीका के संविधान से मिलती-जुलती है।

भाग 10: निष्कर्ष – संक्षेप में

1. संविधान (Indian Constitution): राष्ट्र की आत्मा

भारतीय संविधान (Indian Constitution) केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि भारत के लोकतंत्र, न्याय, समानता, और स्वतंत्रता की आत्मा है। यह हर नागरिक को उसकी गरिमा, अधिकार और कर्तव्यों की पहचान देता है।

2. बहुआयामी विशेषता

  • यह लचीलापन और कठोरता का संतुलन बनाए रखता है।
  • हर वर्ग, हर क्षेत्र और हर धर्म के लोगों को समान अवसर देता है।
  • समय के अनुसार संशोधित होकर आधुनिक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है।

3. चुनौतियाँ और उत्तरदायित्व

आज भी संविधान (Indian Constitution) के मूल मूल्यों को चुनौती मिलती रहती है —
जैसे कि धार्मिक ध्रुवीकरण, असमानता, अभिव्यक्ति पर अंकुश, आदि।
इनसे निपटना हम सबका संवैधानिक उत्तरदायित्व है।

4. नागरिकों की भूमिका

संविधान (Indian Constitution) को जीवंत बनाए रखने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी हम नागरिकों की है। जब हम इसके मूल्यों को अपने जीवन में अपनाते हैं, तभी यह वास्तव में प्रभावी बनता है।

5. निष्कर्षात्मक संदेश

“हम भारत के लोग” केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि एक संकल्प है – समानता, स्वतंत्रता, न्याय और भाईचारे का।
संविधान (Indian Constitution) को पढ़ना, समझना और अपनाना हर नागरिक का कर्तव्य और अधिकार दोनों है।

महत्वपूर्ण अनुच्छेद – 

अनुच्छेद संख्याविषय / अधिकार
अनुच्छेद 12-35मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
अनुच्छेद 14कानून के समक्ष समानता (Right to Equality)
अनुच्छेद 15धर्म, जाति, लिंग, भाषा के आधार पर भेदभाव का निषेध
अनुच्छेद 16सरकारी नौकरियों में समान अवसर
अनुच्छेद 17अछूत प्रथा का उन्मूलन (Untouchability Abolished)
अनुच्छेद 19अभिव्यक्ति, आंदोलन, संगठन, बोलने की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 21जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
अनुच्छेद 21A6–14 वर्ष के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार
अनुच्छेद 22गिरफ्तारी और हिरासत से संरक्षण
अनुच्छेद 25-28धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार
अनुच्छेद 29-30सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार (अल्पसंख्यकों के लिए)
अनुच्छेद 32संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to Constitutional Remedies) — डॉ. अंबेडकर ने इसे “संविधान (Indian Constitution) की आत्मा” कहा

अन्य प्रमुख अनुच्छेद:

अनुच्छेदविषय
अनुच्छेद 36-51नीति निदेशक तत्व (DPSP)
अनुच्छेद 51Aमूल कर्तव्य (Fundamental Duties)
अनुच्छेद 74-78राष्ट्रपति व मंत्रिपरिषद की शक्तियाँ
अनुच्छेद 110धन विधेयक (Money Bill) की परिभाषा
अनुच्छेद 112केंद्र सरकार का बजट (वार्षिक वित्तीय विवरण)
अनुच्छेद 123राष्ट्रपति की अध्यादेश शक्ति
अनुच्छेद 124सुप्रीम कोर्ट का गठन
अनुच्छेद 148भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG)
अनुच्छेद 280वित्त आयोग का गठन
अनुच्छेद 324चुनाव आयोग का गठन
अनुच्छेद 356राष्ट्रपति शासन (President’s Rule)
अनुच्छेद 370(अब हटाया गया) — जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा

भारतीय संविधान (Indian Constitution): महत्वपूर्ण अनुच्छेदों से संबंधित संभावित प्रश्न

  • अनुच्छेद 14-भारतीय संविधान (Indian Constitution) का अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता का अधिकार प्रदान करता है, जिसका आशय यह है कि देश के सभी नागरिक कानून की नजर में समान हैं और किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। 
  • अनुच्छेद 15 – धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान आदि के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को प्रतिबंधित करता है, जिससे सामाजिक समानता सुनिश्चित होती है। 
  • अनुच्छेद 17-समाज में व्याप्त अछूत प्रथा को समाप्त करता है और इसे अपराध घोषित करता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार 
  • अनुच्छेद -19-  में वर्णित है, जो नागरिकों को विचार, अभिव्यक्ति, सभा, संघ बनाने, आवागमन और व्यवसाय करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार 
  • अनुच्छेद -21- जिसे “जीने का अधिकार” भी कहा जाता है और यह मौलिक अधिकारों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षा के अधिकार को 86वें संविधान (Indian Constitution) संशोधन द्वारा अनुच्छेद 21A में जोड़ा गया, जो 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है।
  • अनुच्छेद 32 -के अंतर्गत नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय में ‘रिट याचिका’ दायर करने का अधिकार प्राप्त है और इसे संविधान (Indian Constitution) की आत्मा कहा गया है। मूल कर्तव्यों का वर्णन 
  • अनुच्छेद 51A- में किया गया है, जिसमें 11 कर्तव्यों को शामिल किया गया है जो हर नागरिक के लिए आवश्यक हैं। संविधान (Indian Constitution) में संशोधन की प्रक्रिया 
  • अनुच्छेद 368 – में वर्णित है, जिसके अंतर्गत संसद को संविधान (Indian Constitution) में परिवर्तन करने का अधिकार प्राप्त है। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा 
  • अनुच्छेद 370 -द्वारा दिया गया था, जिसे 2019 में समाप्त कर दिया गया। राष्ट्रपति शासन लगाने की प्रक्रिया 
  • अनुच्छेद 356 में है, जिसके अंतर्गत राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर केंद्र शासन लागू किया जा सकता है।
  • अनुच्छेद 124- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना अनुच्छेद 124 के तहत की गई है, जो न्यायपालिका की सर्वोच्च संस्था है। 

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