लोक देवता देव बाबा का इतिहास व मंदिर- Karas dev baba Jahaj Jeevan Parichay (Dev Baba Bharatpur)
-: कारस देव (karas dev baba) का जीवन परिचय :-
देव बाबा ( Dev Baba) के पिता का नाम : राजू चंदीला
देव बाबा ( Dev Baba) की माता का नाम : सोडा देवी
देव बाबा ( Dev Baba) की बहन का नाम : एलारी/ऐलादी
-: देव बाबा ( Dev Baba) प्रारंभिक जीवन :-
प्राचीन काल में, गढ़ राजौर पर बहादुर योद्धा राजू चंदीला का राज्य था। प्रजा सुखी थी। उनकी पत्नी, सोडा, धार्मिक और सुंदर महिला थीं। पहली संतान एला दे के रूप में हुई। ज्योतिषियों ने बताया कि एला दे बड़े होकर कुल का नाम रोशन करेगी।
-:एला दे का चमत्कार :-
एला दे ने देवी की तपस्या से अध्यात्मिक बल प्राप्त किया। दिल्ली के बादशाह अल्लाउद्दीन खिलजी का हाथी बेकाबू हो गया। एला दे ने देवी का सुमरन कर हाथी को रोक दिया। बादशाह के पुत्र ने एला दे से शादी की इच्छा जताई। राजू चंदीला ने युद्ध को चुना, लेकिन अंत में परिवार को लेकर भरतपुर की ओर रवाना हो गए।
-: कारस देव (karish dev) का जन्म :-
कारस देव (karas dev baba) मंदिर का स्थान: जहाज गाँव,तहसील- बैर
कारस देव (karas dev baba) का जन्म: भादो वदी 4, रात्रि 12 बजे
कारस देव (karas dev baba) स्थान नीम के पेड़ के नीचे स्थित होता है ।
कारस देव (karas dev baba) मुख्य स्थल नगला जहाज (भरतपुर) में है ।
-: कारस देव (karish dev) और साधु की मुलाकात :-
- पांच वर्ष की उम्र में, कारस देव जंगल में एक साधु (स्वयं शंकर भगवान) से मिले। साधु ने कारस देव (karas dev baba) को बिन ब्याई बकरी का दूध लाने को कहा। कारस देव (karas dev baba) ने श्रद्धा पूर्वक दूध प्राप्त किया। साधु ने कारस देव (karas dev baba) को शिष्य बनाया और शिवलिंग स्थापित कर दिया।
-:कारिस देव (karish dev) का चमत्कार और सेवा :-
- कारस देव (karas dev baba) ने जन-जन को बीमारियों से मुक्त किया। अध्यात्मिक शक्तियों से युक्त महान योद्धा बने। अपने छोटे भाई सूरपाल के साथ राज्य किया।
-:कारिस देव बाबा(karish dev baba ) का अंतिम दिन :-
कारस देव (karas dev baba) हिमालय तपस्या हेतु चले गए। उनकी अनुपस्थिति में, उनके छोटे भाई सूरपाल को सांप ने डस लिया। एला दे के विलाप पर कारस देव लौटे और सांपों को आकर्षित किया। सांप ने सूरपाल को पुनर्जीवित किया। कारस देव (karas dev baba) के दो दोस्तों ने जहर पीकर पुनर्जन्म पाया। देवबाबा ने अपनी मृत्यु के बाद अपनी बहन 'एलादी' को भात पहनाया था ।
-:कारिस देव बाबा (karish dev baba ) की लोकदेवता के रूप में मान्यता :-
- कारस देव (karas dev baba) की गाथा गुर्जर और अहीर जातियों के मध्य प्रसिद्ध है। हर महीने की चतुर्थी को उनकी पूजा होती है। कारस देव की पूजा पशु-रक्षा और झाड़-फूंक के लिए की जाती है।
- ग्वाला जीमण पूर्वी राजस्थान में पशुपालकों द्वारा बाल ग्वालों को दी जाने वाली दावत ।इसे ग्वाला जीमण दावत कहा जाता है । देव बाबा (karas dev baba) ग्वालों के लोकदेवता है ।
-: कारिस देव बाबा (karish dev baba ) महत्व :-
- पूजा स्थल: बुन्देलखण्ड अंचल, रेती (मध्यप्रदेश), विरजा (राजस्थान)
- प्रतिष्ठा: गुर्जर श्रद्धालु पवित्र कुंड में स्नान करते हैं, जिससे समस्त पाप कट जाते हैं।
- देव बाबा के भक्त चतुर्थी व पंचमी को चरवाहों को भोजन कराते हैं ।
- कारस देव को पशुधन की बीमारियों से बचाने वाले देवता माना जाता है। उनकी गाथा में अद्भुत और अलौकिक साहसी कार्यों का वर्णन होता है।
- गुर्जर ग्वालो के प्रति देव बाबा के मन में गहरी श्रृंद्धा थी । इन्हें पशु चिकित्सा का ज्ञान था ।इसी कारण पशुओं की बीमारियों का सफल इलाज तथा कष्टो के निवारण करते थे । इसी कारण ग्वाला समुदाय में ग्वालों के पालनहार कष्ट निवारक देवता आदि नामों से प्रसिद्ध है ।
-: कारिस देव बाबा ( karis dev baba jahaj ) के मेले का आयोजन :-
- भरतपुर के नगला जहाज नामक स्थान पर प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल पंचमी व चैत्र शुक्ल पंचमी को दो बार यहाँ मेला आयोजित होता है ।
-: देव बाबा (karish dev baba ) के बारे मै अन्य जानकारी :-
- देव बाबा की सवारी (वाहन) भैंसा (पाडा) होता है । इसमें उनके हाथ में झाड व दूसरे हाथ में लाठी लिए सवार प्रतिमा होती है ।
-: कारिस देव बाबा ( karis dev baba jahaj ) से जुडा सीता कुंड स्थल :-
-: कारिस देव बाबा ( karis dev baba jahaj ) जहाज के चढ़ावे की नीलामी :-
देव बाबा जहाज के मंदिर आने से पर होने वाली समस्याओ से दूर रहने के लिए जरूरी बाते -
- देव बाबा मंदिर को जाने वाला रास्ता सिंगल लाइन मै है तथा ऊंचे नीचे सकरे पहाड़ी रास्ते है जिससे दुर्घटना होने की समस्या बनी रहती है इसलिए सावधानी पूर्वक यात्रा करे ।
- कुछ लोगों के द्वारा ठगी भी जाती है उनसे दूर रहे ।
FAQs: कारस देव (Karas Dev Baba jahaj )
1. देव बाबा (Dev Baba Jahaj) का परिवारिक विवरण क्या है?
- पिता का नाम: राजू चंदीला
- माता का नाम: सोडा देवी
- बहन का नाम: एलारी/ऐलादी
2. कारस देव बाबा (Karas Dev Baba Jahaj ) का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
- जन्म: भादो वदी 4, रात्रि 12 बजे
- स्थान: जहाज गाँव, तहसील- बैर, मुख्य स्थल नगला जहाज (भरतपुर)
3. कारस देव बाबा (Karas Dev BabaJahaj ) का प्रारंभिक जीवन कैसे था?
- पांच वर्ष की उम्र में कारस देव बाबा ने जंगल में साधु (स्वयं शंकर भगवान) से मुलाकात की और अध्यात्मिक मार्ग पर चले गए।
4. एला दे का चमत्कार क्या था?
- एला दे ने देवी की तपस्या से अध्यात्मिक बल प्राप्त कर दिल्ली के बादशाह अल्लाउद्दीन खिलजी के बेकाबू हाथी को रोक दिया।
5. कारस देव बाबा (Karas Jahaj Dev Baba) की प्रमुख सेवाएँ क्या थीं?
- जन-जन को बीमारियों से मुक्त किया।
- अध्यात्मिक शक्तियों से युक्त महान योद्धा बने।
6. कारस देव बाबा (Jahaj Karas Dev Baba) की मृत्यु के बाद क्या हुआ?
- हिमालय तपस्या हेतु गए।
- उनके भाई सूरपाल को सांप ने डस लिया, जिसे उन्होंने पुनर्जीवित किया।
7. कारस देव बाबा (Karas Dev Jahaj Baba) की पूजा कब और क्यों की जाती है?
- हर महीने की चतुर्थी को पूजा होती है।
- पशु-रक्षा और झाड़-फूंक के लिए।
8. कारस देव बाबा (Karas Dev Baba Jahaj) के मेले का आयोजन कब होता है?
- भरतपुर के नगला जहाज में भाद्रपद शुक्ल पंचमी और चैत्र शुक्ल पंचमी को दो बार मेला आयोजित होता है।
9. सीता कुंड स्थल का क्या महत्व है?
- सीता कुंड एक तीर्थ स्थान है जहाँ स्नान करने से शारीरिक रोग और कुछ पाप मिट जाते हैं।
- यहाँ शिवजी, श्रीराम-सीता, और कारस देव का मंदिर है।
10. देव बाबा (Karas DevBaba Jahaj ) की सवारी क्या होती है?
- भैंसा (पाडा), हाथ में झाड और दूसरे हाथ में लाठी लिए सवार प्रतिमा होती है।
11. कारस देव बाबा (Karis Dev Baba Jahaj ) से जुड़ी नीलामी प्रक्रिया क्या है?
- मंदिर के चढ़ावे की नीलामी गुर्जर समाज के लोगों द्वारा की जाती है, जिसमें सबसे अधिक राशि देने वाला व्यक्ति एक साल के लिए मंदिर से होने वाली आमदनी रखता है।
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