सिलिकोसिस रोग क्या है| सिलिकोसिस पीडि़त हिताधिकारियों हेतु सहायता योजना 2024
इस आलेख मे सिलिकोसिस पीडि़त हिताधिकारियों हेतु सहायता योजना,सिलिकोसिस रोग क्या है,सिलिकोसिस की रोकथाम के लिये नियोक्ता द्वारा किये जाने वाले उपाय,सिलिकोसिस रोग से पीड़ित मरीजों के खाते में आएगी सहायता राशि,सिलिकोसिस पीडि़त हिताधिकारियों हेतु सहायता योजना पात्रता एवं शर्ते,सिलिकोसिस पीडि़त हिताधिकारियों हेतु सहायता योजना हेतु आवेदन की समय सीमा,सिलिकोसिस पीडि़त हिताधिकारियों हेतु सहायता योजना हेतु आवश्यक दस्तावेज, के बारे में विस्तार से बताया गया |
सिलिकोसिस पीडि़त हिताधिकारियों हेतु सहायता योजना:-सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ित श्रमिकों को तीन लाख रूपए तक सरकार आर्थिक सहायता देगी। इसके अलावा सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ित श्रमिक एवं उनके परिवारजन को विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। इस संबंध में श्रम विभाग द्वारा मंत्रालय से अधिसूचना जारी की गई है। राज्य के असंगठित श्रमिक तथा उनके परिवार के सदस्यों में से किसी को सिलिकोसिस बीमारी होने की पुष्टि हुई हो, उनको योजना के तहत लाभ मिलेगा।
सिलिकोसिस रोग क्या है :-
सिलिकोसिस’ नामक रोग व्यवसाय से संबंधित होता है जोकि धूल में मौजूद सिलिका के कणों के कारण मनुष्यों में हो सकता है। भले ही इस रोग के बारे में आज बात की जा रही हो परंतु यह रोग अत्यंत पुराना है। यह रोग क्षेत्र विशेष में नहीं सिमटा होता है, बल्कि यह पूरे विश्व में व्याप्त है और हर साल इसके चलते हजारों लोगों की जानें जाती हैं। यह फेफड़ों से जुड़ा एक रोग होता है। यह रोग सिलिका मिश्रित धूल के संपर्क के कारण होता है। इसलिए व्यक्ति जितने लम्बे समय तक सिलिका मिश्रित धूल के संपर्क में रहता है, उतना ही अधिक इस रोग के चपेट में आता है। ऐसा तभी होता है जब उनका कार्य स्थल ऐसा हो, जहाँ पर उन्हें चट्टानों को तोड़ना हो, रेत एकत्रित करना हो, पत्थर, अयस्क आदि को तोड़ना या बारीक चुरा करना शामिल होता है। इन सभी कार्यों में सिलिका उत्सर्जित होती है।सिलिकोसिस की रोकथाम के लिये नियोक्ता द्वारा किये जाने वाले उपाय:-
1. वायु में स्फटिक सिलिका की नियमि जाँच करना जिसके संपर्क में खनिक रहते हैं।2. स्फटिक सिलिका के संपर्क को कम करने के लिये गीली खुदाई करवाना, सिलिका के निकास के लिये स्थानीय खुलाव करना तथा धूल के उत्सर्जन को कम करना।
3. कर्मचारियों को सुरक्षात्मक कपड़े, मास्क, फव्वारे आदि मुहैया कराना।
4. कर्मचारियों को सिलिका और उसके स्वास्थ्य पर होने वाले खतरे से आगाह करना।
5. कर्मचारियों को सुरक्षा के सामान के सही उपयोग हेतु प्रशिक्षण देना।
6. निर्देश चिह्नों का प्रयोग कर कर्मचारियों को सिलिका और उसके जोखिम से अवगत कराना।
7. समय-समय पर कर्मचारियों की स्वास्थ्य जाँच करवाना। सारे सिलिकोसिस पॉजिटिव मामलो की सूचना स्वास्थ्य विभाग को देना।
इन उपायों को यदि हर नियोक्ता अपनाये तो हम सब मिलकर इस खतरनाक रोग को अपने समाज से दूर हटा पाएंगे और एक स्वस्थ समाज के निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वहन कर सकेंगे।
सिलिकोसिस रोग से पीड़ित मरीजों के खाते में आएगी सहायता राशि:-
सिलीकोसिस बीमारी से पीड़ित मरीजों को अब सहायता राशि के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। सरकार की ओर से मरीजों के लिए ऑनलाइन व्यवस्था शुरू कर दी गई है। इसके लिए अब सीधा भुगतान खाते में कर दिया जाएगा। सरकार भामाशाह कार्ड के माध्यम से मरीज को 1 लाख रुपए क्षतिपूर्ति और निधन होने पर परिजनों को 3 लाख रुपए सहायता राशि देगी। इसमें डेढ़ लाख की एफडी और डेढ़ लाख रुपए खाते में जमा होंगे। मरीजों को श्रम विभाग, खनन विभाग और समाज कल्याण विभाग से भी सहायता राशि मिलेगी। सरकार की इन ऑनलाइन व्यवस्था से मरीजों को काफी राहत मिलेगी। वेरफिकेशन प्रमाण पत्र पेश नहीं करना पड़ेगा। सिलिकोसिस से लड़ने के लिए एनवायरमेंट एंड हैल्थ एडमिनिस्ट्रेशन बोर्ड के तहत हैल्थ फंड तैयार किया गया है।
सिलिकोसिस पीडि़त हिताधिकारियों हेतु सहायता योजना पात्रता एवं शर्ते:-
1.पंजीकृत निर्माण श्रमिक हिताधिकारी हों।2.सिलिकोसिस से पीडि़त होना न्यूमोकोनियोसिस मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रमाणित किया गया हो।
3.हिताधिकारी को राजस्थान एनवायरमेन्ट एण्ड हैल्थ सैस फण्ड (रीहेब) से सहायता राशि प्राप्त नहीं हुई हो।
4.वे श्रमिक, जिन पर खान अधिनियम, 1952 के प्रावधान लागू होते हैं, वे सहायता राशि प्राप्त करने के पात्र नहीं होंगे।
सिलिकोसिस पीडि़त हिताधिकारियों हेतु सहायता योजना हेतु आवेदन की समय सीमा:-
मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रमाण-पत्र दिये जाने से 6 माह तक तथा मृत्यु की दशा में मृत्यु की तिथि से 6 माह की अवधि तक।
सिलिकोसिस पीडि़त हिताधिकारियों हेतु सहायता योजना हेतु आवश्यक दस्तावेज:-
1.मृत्यु होने की दशा में मृत्यु प्रमाण पत्र।2.न्यूमोकोनियोसिस मैडिकल बोड का सिलिकोसिस संबंधी प्रमाण-पत्र।
3. हिताधिकारी पंजीयन परिचय पत्र या कार्ड की प्रति
4. भामशाह परिवार कार्ड या भामाषाह नामांकन की प्रति
5. आधार कार्ड की प्रति
6. बैंक खाता पासबुक के पहले पृष्ठ की प्रति
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